Wednesday, 10 July 2013

कुछ मुक्तक
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अक्सर ….
टूटता है बंधन
होता हैं कृन्दन

सदैव ----
दिल करता है प्यार
चक्षु करता है प्रहार

कभी -कभी-----
लहरें जोर से उछलती  हैं
प्रीत की डोर से गिरती हैं

अभी नहीं -----
शिरायें  आलिंगन मांगती हैं
फिर कभी ,जुबान टालती  हैं  
 
कभी नहीं ------
दो किनारों में बहता पानी  
सामिप्य हैं लम्बी कहानी    


(c)राम किशोर उपाध्याय

 

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