Sunday 25 August 2013


शीर्षक 'पहाड़' ---- Haiku

     1 .
पहाड़ जैसे
धन लक्ष्मी  भंडार
स्वामी मस्त
     2.
पहाड़ जैसे
दुःख का अभिशाप  
मानव त्रस्त
      3.
पहाड़ जैसी
प्रेम से अभिसक्त
बांध अटूट  
     4.
पहाड़ जैसे
देश का उच्च भाल
प्रजा निहाल
     5.
पहाड़ जैसी
ममता का आंचल
आनंद मन
      6.
पहाड़ जैसी
वृद्धि का उपहार
जग प्रसन्न  
      7.
पहाड़ नहीं
तो बन घन नहीं  
सृष्टि विनाश
      8.
पहाड़ रहे
बचे देव मानव
यज्ञ सतत    

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए धन्यवाद।

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  2. रूपचंद्र शास्त्री मयंक जी , सराहना के लिए आभार

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