अगर भूखे को रोटी मिल जाये और प्यासे को पानी
मजलूम को तसल्ली और मजदूर को धेला चवन्नी
तो होती है ईद
अगर बूढ़े को मिल जाये खोयी हुई अपनी जवानी
और बालक को मिल साथी और करने को शैतानी
तो होती है ईद
अगर लालची को मिल जाये पड़ा चांदी का रुपैया
और इश्क को मिल जाये हुस्न की बिछड़ी कहानी
तो होती हैं ईद
अगर काबिल को मिल जाये इज्ज़त और मौका
और दरवेश को मिल जाये बस इबादत में रवानी
तो होती है ईद
अगर माँ को बच्चा,बच्चें को मिल जाये खिलौना
बीवी को शौहर और अधेड़ को मिल खोयी जवानी
तो होती है ईद
अगर शायर को मिल जाये कोई मजलिस सयानी
और गायक को मिल जाये बस नज्म एक सुहानी
तो होती हैं ईद
अगर तुम हमे गले मिल जाओं आके इस त्यौहार
और जिंदगी को मिल जाये उडान एक आसमानी
तो होती हैं ईद
Ramkishore Upadhyay

No comments:
Post a Comment