Mera avyakta
Sunday 18 August 2013
इस बेवक़्त
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वो जाग रहा था
कुछ भाग रहा था
कुछ छोड़ रहा था
कुछ तोड़ रहा था
कुछ समेट रहा था
कुछ लपेट रहा था
कुछ लुट रहा था
कुछ लूट रहा था
शब्द ,,,,,,,,,,,,,,,,,
वो बेवक्त गुमनाम शायर
वो एक अनजान मुसाफिर
वो बस जाग ही तो रहा था
रामकिशोर उपाध्याय
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