Friday, 30 August 2013

*बस जनाब !!

दिल लिया हैं तो जज्बात भी लीजिये ,
बदले हुए दिल के हालात भी लीजिये।

मुद्दतों से नम हैं चश्म तुम्हारी याद में ,
आके अब थाम ये बरसात भी लीजिये ।

करते हैं तस्लीम तुम्हारी दयानतदारी ,
तो फिर  वफ़ा की सौगात भी दीजिये ।

नहीं आसान होता बिगड़ी बात बनाना ,
अब नफरत के ख़यालात भी छोडिये ।

बहुत हो गया हैं हुकूमत का मुजाहिरा  ,
तो अब हमारी  खिदमात भी कीजिये।

लम्बे अरसे तक परखा ये वज़ूद हमारा ,
दिखा अब अपनी औकात भी दीजिये ।

रामकिशोर उपाध्याय


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