कहाँ होती हैं !!!
हर चेहरे पे कशिश कहाँ होती है
हर होठ पे जुम्बिश कहाँ होती है
खूब सर पटक ले बेशक आईने
परछाई उनसे कैद कहाँ होती हैं
मौजों से जूझती है कश्तियाँ
सब सागर के पार कहाँ होती है
दरवेश की मस्ती कहाँ होती हैं
खानकाह में होते है हजारों सजदे
पैगम्बर सी इबादत कहाँ होती है
आना है और फिर चले जाना है
आत्मा की मुक्ति कहाँ होती है
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