Thursday 8 May 2014



जब ईश्वर मिले आज ....
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जब पूजा में
शीश झुका मेरा रोज की तरह 
प्रभु ने शिकायत की
न घंटी
न मंत्रोच्चार
न माला
न पुष्प
बस एक दीपक
एक अगरबत्ती
इतनी सूक्ष्म सी प्रार्थना ...
प्रभु !
नहीं चाहता हूँ
डिस्टर्ब करना आपकी एकाग्रता को
आप वैसे ही चारों ओर से उठे पूजा स्थलों के स्वरों से
कंफ्यूज कर दिए जाते हो
और इस अकिंचन के ह्रदय की वाणी
इस शोर में
दब सी जाती होगी ....
अरे वत्स !
मुझे तेरी अल्प प्रार्थना भी स्वीकार है
और तेरा निश्छल समर्पण भी ....
मैं प्रतिदिन यहाँ आता हूँ तुझे देखने
अब लाओ भोग
और मुझे दो ..
आज जिस पूजा स्थल में गया
सभी लोग गा रहे थे मस्त होकर
मुझसे बेखबर ......
तुम्हारे पास ही समय मिला
इसलिए कह दिया ....
प्रसन्न हो
मैं झट से भागा भोग के लिए !!!!!
रामकिशोर उपाध्याय

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