Thursday 8 May 2014

नया खुदा
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आज मंदिरों में सब बुत पुराने हो गए है
मान्यताओं के जैसे
पर लाइन लम्बी होती ही जाती है
मंदिरों की सीढ़ियों पर
भगवान शिव,हनुमान ,दुर्गा या विष्णु के मंदिर में नहीं
लोग सत्ता के पूजागृह में खड़े है
आज के देवता
मुझे मांगने पर वर भी नहीं देते
पूरा चढ़ावा खाकर
लोग कहते हैं आस्था में कमी होगी
भई वेतन का दस प्रतिशत देता हूँ
सिक्के भी सफ़ेद रंग के
देश की टकसाल में ढले
अब सोचता हूँ कि बुद्ध के मार्ग पर चले
ऐश्वर्य सत्ता और दैविक सत्ता के मध्य के मार्ग पर
और फिर एक पत्थर तराश ले
और वर्तमान से भिन्न एक नया खुदा गढ़ ले
सोने चांदी मिश्रित फलों से भोग लगाकर
आज प्रथम पूजा का शुभारम्भ करे
अपने नए खुदा के पहले बुत की ........
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रामकिशोर उपाध्याय

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