Wednesday 22 May 2013

मन सुने माँ सरस्वती की मधुर वाणी


एक मुट्ठी में धूप और एक में   चांदनी
हवा की सीढ़ी से चढ़े कल्पना सुहानी  

पेड़ों के कलम और समंदर की स्याही
अम्बर के कागज़ पे लिखे नई कहानी

किरणों के रंग,अवनि सा बडा केनवास
रंगबिरंगी हो जाये अपनी ये जिंदगानी

लहरों पे उड़े मन भावनाओं की नांव
उमंग से भर जाये प्रीत अपनी पुरानी 

चंदा की हो पायल सूरज की करधनी
सितारों से सज जाये जग की जवानी  

शब्दों के हो पुष्प, गीतों से करे  श्रंगार
मन सुने माँ सरस्वती की मधुर वाणी 

राम किशोर उपाध्याय



2 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (24-05-2013) के गर्मी अपने पूरे यौवन पर है...चर्चा मंच-अंकः१२५४ पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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