बस तू देखता चल !
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आयेगी मंजिल तेरे पास
होसला रखकर, बस तू देखता चल
हवा ना बुझा सकेंगी चिराग
ओट लगाकर , बस तू देखता चल
कमजर्फों से ना पाल उम्मीदें
चल संभलकर, बस तू देखता चल
सहरा भी हो जायेगा पार
ऊंट पकडकर ,बस तू देखता चल
मिलेंगा तुझे खुदा भी यहाँ
ध्यान जमाकर, बस तू देखता चल
ख्वाहिशें होगी पूरी सब
रख यकीं उसपर, बस तू देखता चल
राम किशोर उपाध्याय
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