Friday, 1 November 2013











ये दीप कहाँ रखूं ?
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आज दिवाली हैं
जगमग हैं घर,गली, कुंचा और मेरा गाँव
भर आई हैं दीपों की थाली
हर रंग और रूप से सजे हैं दीप
कुछ मेरी भावना से  
कुछ मेरी कामना से
कुछ मेरी माँ के स्नेह से जले
उन्हें रख लिया मैने आस्था के द्वार पर
कुछ पिता के आशीष से सने
उन्हें रख लिया मैंने विश्वास के द्वार पर
कुछ मेरी संतान के सम्मान से जमे हुए
जिन्हें मैंने रख दिया आत्मविश्वास के द्वार पर
कुछ एक भार्या के प्रेम से भरे-भरे
जिन्हें रख लिया मैंने ह्रदय के द्वार पर
कुछ दीप अभी शेष हैं मेरे संबंधो के
स्वयं के स्वयं से ----
स्वयं के जगत के ----
उनके और अपने----  
जिन्हें मैं घर की देहरी पर रखना चाहता हूँ
फिर आप ही बताओं
कि ये दीप मैं कहाँ रखूं ?.............


रामकिशोर उपाध्याय 

4 comments:

  1. आपकी यह पोस्ट आज के (०२ नवम्बर, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - ये यादें......दिवाली या दिवाला ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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  2. Tushar Raj Rastogi जी आपका बहुत बहुत आभार ...इस सम्मान के लिए.

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  3. बहुत सुंदर दीपोत्सव शुभ हो !

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    1. सुशील कुमार जोशी जी आभार .दीपोत्सव आपको भी मंगलमय हो ..

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