राह के रोड़े
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यूँ राह चलते ---
किनारे पड़े कंकडो को पैर मत मारों
बेशक वे तुम्हारी राह का रोड़ा हो
अगर लौटते समय ----
उसी राह पे पास से गुज़रती
नदी का बेलगाम पानी चढ़ आया
तो वही कंकड़
तुम्हे घर की राह दिखायेंगे !!!!!
राम किशोर उपाध्याय
९.४.२०१३
बहुत सार्थक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुंदर भाव
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हो ख़ुशी होगी
बहुत अच्छी बात कही आपने ...
ReplyDeleteसटीक ...
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