Mera avyakta
Wednesday, 24 April 2013
तन्हा रातों की ईंटों में लगा हैं जुस्तजू का गारा
पलकों के बिछे पावड़े ,है बाजुओं का बिछोना
जब मंजिल मिल ही गयी,फिर अब और कहाँ जाना
ठहर जा वक़्त! बड़ी मुश्किल से बना यह ठिकाना
राम किशोर उपाध्याय
24-4-2013
2 comments:
Jyoti khare
24 April 2013 at 07:56
सुंदर रचना
उत्क्रष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
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ANULATA RAJ NAIR
26 April 2013 at 06:44
वाह......
बहुत सुन्दर!!!
अनु
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ReplyDeleteसुंदर रचना
उत्क्रष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
वाह......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!!
अनु