शिव गोरक्ष
देवो के देव महादेव का वह पुत्र व पहचान है
धर्म के शिखर पर आज भी गोरक्ष महान हैं (१)
गूंजता देश के हर घर में बस एक ही गान है
योग ही श्रेष्ठ सबसे, वह ज्ञान भी है,वह विज्ञान है (२)
चलो संभलकर राह में ,जीवन नहीं आसान हैं
मार्ग उत्तम मध्य ही,उनकी शिक्षा का अवदान है (3)
हिमालय से ऊँचा कद ,वह वेद भी है, वह बाइबिल कुरान है
झुक गया हर शीश उसको , फिर भी रहा न जरा अभिमान है (4)
बांटता ज्ञान वह नित नया ,बहता निर्मल जल सामान है
शेष मानवता का दूत, वह विश्व शांति का प्रतिमान है (५)
रंक हो, राजा हो ,सभी को शिष्यत्व का अवसर समान है
ना कोई ऊँचा ,ना कोई नीचा,हम सब उसी की संतान है (६)
वह काल में,अकाल में, वह निष्प्राण में प्राण है
युग सृष्टा है युग द्रष्टा है,वह शक्ति का विहान है (७)
देश के, काल के बन्धनों से मुक्त,वह भूत भी, वर्तमान है
विश्व की चेतना वह , जड़ भी है,और गतिमान भी है (८)
आओ मिलकर नमन करे वह देव भी है, वह भगवान है
कर रहा हर दिशा प्रकाशित,वह तो मेरा गोरक्ष महान है (९)
राम किशोर उपाध्याय
२७.4.२०१३
देवो के देव महादेव का वह पुत्र व पहचान है
धर्म के शिखर पर आज भी गोरक्ष महान हैं (१)
गूंजता देश के हर घर में बस एक ही गान है
योग ही श्रेष्ठ सबसे, वह ज्ञान भी है,वह विज्ञान है (२)
चलो संभलकर राह में ,जीवन नहीं आसान हैं
मार्ग उत्तम मध्य ही,उनकी शिक्षा का अवदान है (3)
हिमालय से ऊँचा कद ,वह वेद भी है, वह बाइबिल कुरान है
झुक गया हर शीश उसको , फिर भी रहा न जरा अभिमान है (4)
बांटता ज्ञान वह नित नया ,बहता निर्मल जल सामान है
शेष मानवता का दूत, वह विश्व शांति का प्रतिमान है (५)
रंक हो, राजा हो ,सभी को शिष्यत्व का अवसर समान है
ना कोई ऊँचा ,ना कोई नीचा,हम सब उसी की संतान है (६)
वह काल में,अकाल में, वह निष्प्राण में प्राण है
युग सृष्टा है युग द्रष्टा है,वह शक्ति का विहान है (७)
देश के, काल के बन्धनों से मुक्त,वह भूत भी, वर्तमान है
विश्व की चेतना वह , जड़ भी है,और गतिमान भी है (८)
आओ मिलकर नमन करे वह देव भी है, वह भगवान है
कर रहा हर दिशा प्रकाशित,वह तो मेरा गोरक्ष महान है (९)
राम किशोर उपाध्याय
२७.4.२०१३
No comments:
Post a Comment