डूब गया है दिल मेरा तेरा अक्स देखते -देखते
लुट गया हैं चमन मेरा ये खुशबू बांटते- बांटते
आने से तुम्हारे मानो मंजिल आ गयी थी पास में
कैसे भूलूँ वो हसीन लम्हे जो गुजरे तेरे आगोश में
काटी है सदियाँ कई रातों में जागते -जागते
लुट गया हैं चमन मेरा ये खुशबू बांटते- बांटते (1 )
हमारे लिए ले लेंगे ज़माने से भी अदावत
रूठ गयी तू मुझसे क्यूँ इतना चाहते -चाहते
लुट गया हैं चमन मेरा ये खुशबू बांटते- बांटते (2 )
फिर आज बादल घिरे, फिर छाई तन्हाई
दिल में छिपाकर जी रहा हूँ तेरी बेवफाई
कहाँ खो गए वो दिन और वो प्यारी -प्यारी राते
लुट गया हैं चमन मेरा ये खुशबू बांटते- बांटते (3)
हो जायेंगे रुखसत हम जहाँ से बस तेरा नाम लेकर
उतर जाता है ज्यूं मांझी भंवर में अपनी नांव खेंकर
मिलेंगे अब बहिश्त में बस तेरा दर ढूंढते -ढूंढते
लुट गया हैं चमन मेरा ये खुशबू बांटते- बांटते (4 )
डूब गया है दिल मेरा तेरा अक्स देखते -देखते
लुट गया हैं चमन मेरा ये खुशबू बांटते- बांटते
( यह गीत लिखने का प्रयास है, अच्छा लगे तो प्रशंसा और ठीक न लगे तो सुझाव की अपेक्षा रहेगी)
राम किशोर उपाध्याय
23-4-2013
डूब गया है दिल मेरा तेरा अक्स देखते -देखते
ReplyDeleteलुट गया हैं चमन मेरा ये खुशबू बांटते- बांटते
सुन्दर प्रस्तुति ..........
Adarniya Shashri ji, Abhar , naman,
ReplyDeleteAruna ji, Dhanyavad.
ReplyDeleteमंगलवार 28/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteआप भी एक नज़र देखें
धन्यवाद .... आभार ....
बहुत सुन्दर.......
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