मित्रों,आज हिंदी दिवस हैं।आज और सदैव अधिक से अधिक हिंदी का प्रयोग अपने कामकाज में करे। यह मात्र रस्म अदायगी तक ही सीमित न रह जाये। मेरी इस अवसर पर एक विनम्र प्रस्तुति।
हिंदी की बिंदी
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हिंदी की बिंदी चमकी रही विश्व के शुभ्र भाल पर,
अ से ह तक के स्वर व व्यंजन नाचे सुर ताल पर,
करे गीत दोहा छन्द और सोरठा से सोलह श्रृंगार,
यह दायित्व है सबका,,,राष्ट्रभाषा के सवाल पर।
रामकिशोर उपाध्याय
हिंदी की बिंदी
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हिंदी की बिंदी चमकी रही विश्व के शुभ्र भाल पर,
अ से ह तक के स्वर व व्यंजन नाचे सुर ताल पर,
करे गीत दोहा छन्द और सोरठा से सोलह श्रृंगार,
यह दायित्व है सबका,,,राष्ट्रभाषा के सवाल पर।
रामकिशोर उपाध्याय
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