Sunday 27 November 2011

प्रेम में अक्सर


ह्रदय जब टूटता हैं तो
आइने   की तरह बिखरता नहीं
ग्लेशियर  पर बर्फ की तरह जम जाता हैं.

साथ जीने के वादे
गठबंधन की तरह  मजबूत नहीं होते
कस्तूरी की तरह नाभि में कैद होकर रह जाते   है.

स्मृति    के बीज
बगीचे में  फलदार वृक्ष नहीं बनते
केक्टस की तरह उग आत्मा में चुभते रहते  है.

नवजीवन की कल्पनाएँ
दिवास्वप्न की तरह सुन्दर नहीं होती
यथार्थ की शिलाएं बन स्पंदनहीन हो जाती है.


अन्तरंग क्षणों की कसमें
सेमर के फूल की तरह उड़ती नहीं
विवाह- मंडप की अग्नि में होम हो जाती  है.


रामकिशोर उपाध्याय
२७.११.२०११
वाराणसी,उ.प्र.

1 comment:

  1. रदय जब टूटता हैं तो
    आइने की तरह बिखरता नहीं
    ग्लेशियर पर बर्फ की तरह जम जाता है...........bahut sunder shabdo ka samavesh

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