दूत -
खुशहाली के
पर बाणों को
झेलने से पहले ही लहूलुहान हो उठे हो तुम.
झेलने से पहले ही लहूलुहान हो उठे हो तुम.
मसीहा-
मानवता के
पर सलीब को
खुद के काँधे पर ढ़ोने से घबरा उठे तुम .
सिपहसलार -
वतन और कौम की रहनुमाई करने वाले
पर खुद को
जिबह करने से कतरा उठे हो तुम.
सिर्फ शोर हो तुम-
जो हमारी गफलतो से पैदा हुआ.
या फिर महज एक सन्नाटा-
जो हमारी खामोशियों से गहराया.
अँधेरे में साये की तरह
कौन हो तुम?
कौन हो तुम?
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