Friday, 11 July 2014

निष्क्रिय ? 
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घर / बाहर के 
दुश्मनों से लड़ना सीख लिया 
अब .....
न तलवार का वार 
न जुबानी जंग
न अश्कों का संग
इर्दगिर्द मचे युगीन
अस्त्रविहीन युद्ध के कोलाहल में
बस
मौन रहता हूँ ....
निष्क्रिय ????
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रामकिशोर उपाध्याय

2 comments:

  1. तटस्थ रहना ही ठीक ..
    बहुत बढ़िया किस किस से लड़ो भिड़ो..कुछ भी तो हासिल नहीं होने वाला

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    1. कविता रावत जी ...आप ने कथ्य के मर्म को समझा ...आभार आपका

      रामकिशोर उपाध्याय

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