बसंत में धरती ने
किया नए पत्तों और फूलों से श्रंगार
पीली सरसों और खिले गुलाब हज़ार
पर गुलाब एक
और रंग बेशुमार
लाल -
प्रतीक प्रेम का
गुलाबी-
शहद से विचार का
श्वेत -
अंतःकरण की शुद्धता का
आज प्रेम -दिवस पर
कर रहा हूँ अर्पण-
एक नहीं, दो नहीं
तीनों रंगों के गुलाब
मित्रों! कर लेना स्वीकार
मेरे प्रति अपनी भावना के अनुसार
हो सके तो कर देना व्यक्त आभार
यह अगले वर्ष 14 फरवरी तक ही नहीं
मुझे प्राप्त होगा आपका
एक अलभ्य शाश्वत उपहार।
सुन्दर रचना !!
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