स्वयं
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को कर विदीर्ण
दिन-प्रतिदिन
रात दर रात
सिद्धांतो के पोषण में कर दिया देह को भी
समर्पित एक दिन
शाश्वत अग्नि को-
कि रहे अनश्वर
अनादि सनातन सत्य ---
लोग
बड़े विचित्र
अनुसरण के विपरीत
महानता का चोला ओढ़ा दिया
जीते जी पाया सिर्फ
चंद हार, अपवित्र हाथों से
और मरने पर पाया
असहाय मरीज की तरह
अस्पताल के बोर्डों पर नाम
व बींट किये हुए
धूप में यहाँ वहां चौराहे पर
बिना छतरी के खड़े
चंद आदमकद बुत
(बींट किये हुए चंद आदमकद बुत)
रामकिशोर उपाध्याय
२.१२.२०११
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