Saturday 22 April 2017

क्या मालूम

मैं किस ओर चला
क्या मालूम ?
कॊई कहे ले गयी पवन उड़ाकर
कॊई कहता नदिया के तीर गया
ज्वाला के संग संग दिन -रात जला
या दीपशिखा संग रमण किया
जुगनू था और वही बनकर
चाँद-सितारों संग भ्रमण किया
क्या मालूम..
कभी 'मैं' ही  नहीँ था  पथपर
कभी 'तुम' भी नहीँ थे मील के पत्थर
तो कॊई कितनी दूर चला
क्या मालूम ??
*
Ramkishore Upadhyay

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (25-04-2017) को

    "जाने कहाँ गये वो दिन" (चर्चा अंक-2623)
    पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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