Tuesday, 7 January 2014

कहा हो चक्रपाणी ?
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मेरे सपने 
ना हुए अभी तक अपने 
जैसे परकटे परिंदे
जैसे लटके हो गले में फंदे
ना उड़ना संभव
ना जीना संभव
कहा हो चक्रपाणी ?

रामकिशोर उपाध्याय

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