Tuesday, 21 March 2017

आज विश्व कविता दिवस पर। ..........कवि झूठा हो सकता है..



कवि झूठा हो सकता है
मगर उसकी कविता होती है सच का दस्तावेज 
 कविता एक शब्द जाल हो सकती है 
मगर व्यक्त एक-एक शब्द होता है मानीखेज  
हर शब्द कई रंगों में डूबा हो सकता है 
मगर कवि होता है मन को इन्द्रधनुषी रंगों में रंगने वाला रंगरेज 
कवि झूठा हो सकता है
मगर उसकी कविता होती है सच का दस्तावेज ........................... *...........................
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कविता में दर्द हो सकता है
मगर दर्द की कविता में होता है अमरता का तेज
जैसे तुम्हारे लिए मेरा होना
या अक्सर तुम्हारे लिए मेरा रोना
जीवन में ख़ुशी तो महज एक एपिसोड है
मगर दुःख तो इस संसार में होता है ऑलवेज  
कवि झूठा हो सकता है
मगर उसकी कविता होती है सच का दस्तावेज ..............
*
रामकिशोर उपाध्याय 

  


  

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