नया दर्द है
मौसम फिर से सर्द है
मिलती नही अब अलाव -ठाँव है
तने खड़े हैं तरुवर लेकर अपनी कृष काया
ढूंढ रहें हैं खोई अपनी गहरी छाया
उधर
शहर में कोई खोजता वही पुराना गाँव है ....
*
रामकिशोर उपाध्याय
मौसम फिर से सर्द है
मिलती नही अब अलाव -ठाँव है
तने खड़े हैं तरुवर लेकर अपनी कृष काया
ढूंढ रहें हैं खोई अपनी गहरी छाया
उधर
शहर में कोई खोजता वही पुराना गाँव है ....
*
रामकिशोर उपाध्याय
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