Tuesday, 7 February 2017

मधुमक्खी का डंक ----------------------


पानी अब पी रहे एक घाट पर 
क्या शेर क्या बिल्ली 
दुम दबाकर निकल पड़े 
वोट मांगने अब सारे शेखचिल्ली
झुक- झुक कर रहे
बड़े अदब से सबको सलाम -नमस्ते
कुछ मुफ्त में निपट जायेंगे
कुछ पा जायेंगे राजमहल के रस्ते
पांच साल फिर न मिलेंगे
हो गए जो राजा या वो रह गए जो रंक
वोट ओढ़कर सहती रह जाएगी
 जनता मधुमक्खी का डंक
*
रामकिशोर उपाध्याय
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4 comments:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - जगजीत सिंह जी की 76वीं जयंती में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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