मेरे सपने
अपनेपन को तरसे
कुछ तेरे मन में सूखे
कुछ मेरी आँखों से बरसे
साँझ ढले ही सो गए सारे
सुबह उठे
तो जा नभ में गरजे
मेरे सपने
अपनेपन को तरसे .....
-
रामकिशोर उपाध्याय
कुछ तेरे मन में सूखे
कुछ मेरी आँखों से बरसे
साँझ ढले ही सो गए सारे
सुबह उठे
तो जा नभ में गरजे
मेरे सपने
अपनेपन को तरसे .....
-
रामकिशोर उपाध्याय
No comments:
Post a Comment