Tuesday, 4 March 2014

एक मुक्तक
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पुष्पों ने आज समस्त सुगन्ध हवा में दी बिखेर,
लहरों पर उसके नाम की रेखाएं सागर ने दी उकेर ,
वह आई जीवन में और गई उड़ेल मधु उर में मेरे ,
लगी तब से ही कविता,ग़ज़ल,नज़्म कहने की टेर|

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