उठ जागो अब ऐ वीरों !
ये धरती ,ये माता , कुछ मांग रही हैं,
पिला दूध ,जल और खिला अन्न
अपने वक्षस्थल का --
सींचा है तुम्हे अपने लहू से
दिया हैं चौड़ा सीना
भरी शिराओं में उर्जा
अब उसका और अपमान न कर
चूका ऋण ,ले आ मस्तक अरि का ,
कर अनुपान शीघ्रता का
उठ जागो अब ऐ वीरों !
ये बिलखते बालक ,ये रोती नगरी , कुछ मांग रही हैं।
---राम किशोर उपाध्याय
12.1.2013
वीर रस से भरी सुन्दर काव्य रचना !!
ReplyDeleteवीर रस से ओतप्रोत वीरों का आह्वान -सुन्दर !
ReplyDeleteNew post : दो शहीद
New post: कुछ पता नहीं !!!
Shashtri ji, Khandelwal ji aur Kalipad ji, aap sabhi ka abhar aur dhanyavad.
ReplyDeleteप्रेरक रचना!
ReplyDelete~सादर!!!
बहुत सुन्दर प्रेरणादायी रचना...
ReplyDelete:-)
अनीता जी और रीना जी, आभार
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