Friday 11 January 2013

ये धरती ,ये माता , कुछ मांग रही हैं




उठ जागो अब ऐ वीरों !
ये धरती ,ये माता , कुछ मांग रही हैं,

पिला दूध ,जल और खिला अन्न 
अपने वक्षस्थल का --
सींचा है तुम्हे  अपने लहू से  
दिया हैं चौड़ा सीना 
भरी शिराओं में उर्जा 
अब उसका और अपमान न कर 
चूका ऋण ,ले  आ मस्तक अरि का ,
कर अनुपान शीघ्रता का 

उठ जागो अब ऐ वीरों !
ये बिलखते बालक ,ये रोती नगरी , कुछ मांग रही हैं।

---राम किशोर उपाध्याय 
12.1.2013

6 comments:

  1. वीर रस से भरी सुन्दर काव्य रचना !!

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  2. वीर रस से ओतप्रोत वीरों का आह्वान -सुन्दर !
    New post : दो शहीद
    New post: कुछ पता नहीं !!!

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  3. बहुत सुन्दर प्रेरणादायी रचना...
    :-)

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