उठा कर चल रहा हॅू मैं
सलीब खुद के कांधें पर आज भी --
ठुकी हैं कीले
मेरे जिस्म में आज भी--
गर एक भी आंसू आंख के किसी कोने मे आया
तो जमाना रो पडेगा
यह जानकर मैं रोता नही
कर रहा हॅू प्रार्थना
हे पिता !
क्षमा कर दो उन्हे
वे जानते नही वे क्या कर रहे हैं
सह रहा हॅू दर्द बडी़ खामोशी से --
कि वह उतर लाये मानवता के सीने में
करुणा बनके
प्रेम बनके
और उभर आये मुस्कान बनके
उसके चेहरे पर
जो कभी हंसा ही नही
Prabhu Yishu aap ko aasheesh dein.
ReplyDeleteTHANKS MY FRIEND. MAY LORD JESUS BLESS YOU ALL.
ReplyDeletepapa its gud n too motivating
ReplyDeleten at d same time it is a good example for the one who lives for other withou ny expectation.
Divine!!!
ReplyDeleteTHANAKS A LOT.
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