UNWAAN 'ARZOO" (2 )
में पेशे खिदमत है दूसरा शेर :
सदियों की आरज़ू में आरिफ़ के जेहन में उभरा एक अक्स
गज़ब हो गया ईश्वर की जगह महबूब का ही उभरा नक्श
sadiyoN ki aarzo me arif ke jehan me ubhra ek aks
gazab ho gaya Ishwar ki jagah mahboob ka hi ubhra naksh
राम किशोर उपाध्याय
में पेशे खिदमत है दूसरा शेर :
सदियों की आरज़ू में आरिफ़ के जेहन में उभरा एक अक्स
गज़ब हो गया ईश्वर की जगह महबूब का ही उभरा नक्श
sadiyoN ki aarzo me arif ke jehan me ubhra ek aks
gazab ho gaya Ishwar ki jagah mahboob ka hi ubhra naksh
राम किशोर उपाध्याय
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