Thursday, 29 December 2016

हज़ार के नोट

आजकल 
लोग रिश्तों को भी 
सिक्कों की तरह जमा करते हैं 
और जब जरुरत होती है
 गुल्लक तोड़ लेते हैं
संवेदनाएं
 विमुद्रीकरण में हज़ार के नोट की तरह
चलन से बाहर हो जाती हैं
और
शेष रह जाता है
भग्न शरीर ..........................................
जो अगले अनुबंध की प्रतीक्षा करता रहता है
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रामकिशोर उपाध्याय

Tuesday, 27 December 2016

फ़िलहाल ............

फिलहाल....
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रेत के ढूह 
सिकती है रूह 
दिखती नहीं छाँव 
लोहे के पाँव
चले कैसे..
फिलहाल
लाइन में खड़ा है वो
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रामकिशोर उपाध्याय

मुक्तक एवम अन्य

मुक्तक 
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यहाँ के राम वहाँ पर रहमान हो जाये
उचककर धरा ऊपर आसमान हो जाये
खिल जाये बाग के वो सारे उदास फूल
यदि मेरी उनसे जान पहचान हो जाये

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उनके साथ सांसों का सौदा हो गया ।
किसने कहा मैं इंसा बोदा हो गया ॥

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हे प्रभु !!!

बख्शना गर किसी कॊ जिन्दगी तो देना सभी सामान ।
देना उसे तू सभी राहते और न सिसके कभी अरमान ॥
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सबके जीवन से मिटे,दुखों का अन्धकार
मात्र यही शुभकामना,सुखमय हो संसार 
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अब कोई ऐसा मिल जाए..........जिसे अपना बताया जाय |
फिर कुछ पल ऐसे मिल जाए जिन्हें मिलकर बिताया जाय | |


*
कागज़ के उस टुकडे ने मेरी शक्ल औ सूरत बदल दी ।
दो हज़ार का नोट नहीँ,वो उसका लेट कबूलनामा था ॥

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काश !हम तुम्हारी कश्ती पर सवार होते |
तुम ही नाखुदा होते,तुम ही पतवार होते ||
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कल की धुंधली परछाई आज के उजालों पर न हो ।
उत्तरों की जुस्तजू में वक़्त जाया सवालों पर न हो ॥
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यह धरा रहे धनधान्य पूर्ण,सबके तन पर परिधान रहे।
सदा रहे जयघोष कर्म का,ऐसा मेरा हिंदुस्तान रहे ॥

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गमले में उगा बोंजाई बड़ा बरगद हो नही सकता 
मगर उसको बढ़ने से भी कोई रोक नही सकता 


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रामकिशोर उपाध्याय

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Ramkishore Upadhyay

लघु न दिजो डारि


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नदियाँ पीकर भी
बुझी न सागर की प्यास 
स्रोत ढूँढता वो
आया पर्वत के पास
पलभर कॊ जब
रुकी झरने की कुछेक साँस
 खारा कहकर
कर दिया सागर का उपहास
नही जरुरी हो सदा
विस्तार में सच का आभास
एक नन्ही सी बूँद भी
अक्सर भर देती उल्लास
*
Ramkishore Upadhyay

कौन था वो ???

जब उसे नींद नहीँ आई 
धरती की नहीँ 
रोटी की गोलाई नज़र आई
सिविल लाइन की नहीँ
खुद की आँख में पड़ी कीचड़ छुड़ाई
कल के ख्वाब नही
फाइव स्टार होटल के कचरे से खाली बोतलें चुराई
दस बार वो क्या बदलता
फटने के डर से बदन से मैली-कुचैली कमीज़ भी न हटाई
 जब उसे नींद नही आई.......
कौन था वो ????

*
रामकिशोर उपाध्याय 

कोशिश



छू लूँ आज 
एक नया सितारा 
कोशिश यही जारी है...🌹🌹🌹
मालूम है
कल की नाकामियों पर
उम्मीदों का दामन भारी है 🌹🌹🌹🌹
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रामकिशोर उपाध्याय