Tuesday, 20 September 2016

छोटा सा चाँद


छोटा सा चाँद हो 
एक लम्बी सी चंदनियाँ
तारों की बारात में 
रात हो दुल्हनियाँ 
हो झुमकें  परिजात के 
हवाओं की हो डोलियाँ
जुगनू के दीपक हो
झिंगुर की हो बोलियाँ
किरणों की मेखला
बादलों में हो बिजलियाँ
आओ सपनों से शब्द बुने
भावों से रंग चुने
कहाँ हो सजनियाँ
*
रामकिशोर उपाध्याय