छोटा सा चाँद हो
एक लम्बी सी चंदनियाँ
तारों की बारात में
रात हो दुल्हनियाँ
हो झुमकें परिजात के
हवाओं की हो डोलियाँ
जुगनू के दीपक हो
झिंगुर की हो बोलियाँ
किरणों की मेखला
बादलों में हो बिजलियाँ
आओ सपनों से शब्द बुने
भावों से रंग चुने
कहाँ हो सजनियाँ
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रामकिशोर उपाध्याय