ब्रह्माण्ड
अनंत असीम
असंख्य नक्षत्र , चन्द्र , ग्रह
विशाल आकाश गंगा
बहु आयामी दिशाए
सूर्य --
एक दम निष्पक्ष
रश्मियों का अविराम प्रसार
उदय से अस्त तक
एकदम अपने कार्य में व्यस्त
करता पुष्पित पल्लवित
पंकज या कैक्टस
थार का मरू
या हो घने वन का तरु
सबल या निर्बल
अचल या चंचल
देता सबको उर्जा का ,ऊष्मा का संबल
परिक्रमा कर धरा पर रखता नज़र
पर एक पुष्प की नज़र से
होता नहीं सूरज ओझल
सूर्यमुखी का विश्वास अटल
घन -घटा में भी घूमता अविरल
निष्काम प्रेम में व्याकुल
प्रेमी सा विव्हल।