हकीकत को मत नकार दो ....
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सपनों के सम्मुख
हकीकत को मत नकार दो
जीत के सम्मुख
हार को मत दुत्कार दो
प्रीत के सम्मुख
विरह को मत अधिकार दो
लक्ष्य के सम्मुख
सफ़र को मत बिसार दो
मर्म के सम्मुख
पाखंड को मत विस्तार दो
और
धर्म के सम्मुख
देश को मत प्रहार दो
और फिर
कोई संग चले न चले
कोई राह दिखे न दिखे
तुझको तो चलना ही होगा
कई मीलों जाना होगा
कभी नन्हे क़दमों से
कहीं लम्बे डगभर के
होगी जहाँ एक सुबह नभ पर
कुछ खट्टी और कुछ जैसी शक्कर
मगर
आशा के सम्मुख
निराशा को मत स्वीकार दो...
सपनों के सम्मुख
हकीकत को मत नकार दो ....
**
रामकिशोर उपाध्याय
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सपनों के सम्मुख
हकीकत को मत नकार दो
जीत के सम्मुख
हार को मत दुत्कार दो
प्रीत के सम्मुख
विरह को मत अधिकार दो
लक्ष्य के सम्मुख
सफ़र को मत बिसार दो
मर्म के सम्मुख
पाखंड को मत विस्तार दो
और
धर्म के सम्मुख
देश को मत प्रहार दो
और फिर
कोई संग चले न चले
कोई राह दिखे न दिखे
तुझको तो चलना ही होगा
कई मीलों जाना होगा
कभी नन्हे क़दमों से
कहीं लम्बे डगभर के
होगी जहाँ एक सुबह नभ पर
कुछ खट्टी और कुछ जैसी शक्कर
मगर
आशा के सम्मुख
निराशा को मत स्वीकार दो...
सपनों के सम्मुख
हकीकत को मत नकार दो ....
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रामकिशोर उपाध्याय
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