Sunday, 15 June 2014

तुमने ये पूछा था कभी !!!!!
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तुम्हारे आंसुओं का 
वही अर्थ मेरे लिए 
जैसे तपते सूरज का अचानक तापमान गिर जाना 
और फिर हृदय के खुले कपाटों में
घुसकर ग्लेशियर सा संवेदनहीन हो जाना....
काश ! तुम यह समझ पाते ....|
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रामकिशोर उपाध्याय

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