अहसास
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अहसास भी
मौसम के कपडे की तरह होते हैं ...
जाड़े में
रजाई
कम्बल
कोट
या जलते अलाव की तरह
और कभी बरफ से जमते ...
जाड़े में
रजाई
कम्बल
कोट
या जलते अलाव की तरह
और कभी बरफ से जमते ...
बरसात में
छतरी
ओवरकोट
बरसाती
या टाट की बोरी के टुकड़े से
और कभी खूब भीगते .....
छतरी
ओवरकोट
बरसाती
या टाट की बोरी के टुकड़े से
और कभी खूब भीगते .....
गर्मी में
ढाका की मलमल
विदेशी कॉटन
और कभी लू में पसीने से तरबतर
एयरकंडीशनर से उगलती गर्मी में जलते.....
ढाका की मलमल
विदेशी कॉटन
और कभी लू में पसीने से तरबतर
एयरकंडीशनर से उगलती गर्मी में जलते.....
फिर भी कुछ अहसास ऐसे भी होते है
जो न जमते,न भीगते,न जलते हैं ....
बस आखिरी कश तक पी हुयी
एक सिगरेट के टोटे की तरह से सुलगते रहते है ............|
जो न जमते,न भीगते,न जलते हैं ....
बस आखिरी कश तक पी हुयी
एक सिगरेट के टोटे की तरह से सुलगते रहते है ............|
रामकिशोर उपाध्याय
१०.४.२०
१०.४.२०
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