Thursday, 8 May 2014

गुनहगार आईने
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एक बड़े से आइने के सामने
जब वो खड़ा हुआ
उसके अपने कई अक्स नजर आये 
कुछ सजीले ,कुछ पनीले
कुछ शर्मीले , कुछ नाग से जहरीले
हरेक अक्स कुछ कह रहा था
कोई जहर उगल रहा था
कोई सर झुकाए खड़ा था
और बचाव में
वो अपनी ही अदालत में खुद की गवाही दे रहा था
वो सब मुस्करा रहे थे
मानों उसकी हार पे हंस रहे थे
फैसला सुना दिया गया
उसकी सादगी को सबसे बड़ा सबूत माना गया
और उसे गुनाहगार बता दिया गया.......
रामकिशोर उपाध्याय

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