Tuesday, 7 January 2014

अर्थ कुछ तो होगा ......
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हम 
अक्सर सोचते हैं ...
सुकून हैं
तो ठंडी हवा क्यों हैं
मन भीगा हैं
तो बारिश क्यों हैं
जिस्म जल रहा हैं
तो लू क्यों नहीं चली
इन नित नयी
और कभी कभी
हमारे लिए निर्थरक बातों में
कुछ
तो अर्थ होगा ....
शायद
हमारी तार्किक बुद्धि के परे
जैसे बारिश में खड़े हो
और भीगे नहीं ........
या फिर धूप में चल रहे हो
और पांव जले नहीं ........

रामकिशोर उपाध्याय

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