Friday, 26 July 2013

मेरा ख़त ----------












ख़त ना मिला हो तो भी मिलने का इज़हार करना 
जिगर के खून से लिखा गया हैं बस आता ही होगा  

गहरे रंग से सरोबार हैं मेरे जज़बात के अल्फाज़
पहले पैगाम भेजा हैं दिल भी अब आता ही होगा 

ना जला देना बड़ी मुश्किल से आये  हैं  लब तक 
दिन ढल गया शब-ए-वस्ल बस भी आता ही होगा  
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रामकिशोर उपाध्याय 

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