कुछ मुक्तक
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अक्सर ….
टूटता है बंधन
होता हैं कृन्दन
सदैव ----
दिल करता है प्यार
चक्षु करता है प्रहार
कभी -कभी-----
लहरें जोर से उछलती हैं
प्रीत की डोर से गिरती हैं
अभी नहीं -----
शिरायें आलिंगन मांगती हैं
फिर कभी ,जुबान टालती हैं
कभी नहीं ------
दो किनारों में बहता पानी
सामिप्य हैं लम्बी कहानी
(c)राम किशोर उपाध्याय
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अक्सर ….
टूटता है बंधन
होता हैं कृन्दन
सदैव ----
दिल करता है प्यार
चक्षु करता है प्रहार
कभी -कभी-----
लहरें जोर से उछलती हैं
प्रीत की डोर से गिरती हैं
अभी नहीं -----
शिरायें आलिंगन मांगती हैं
फिर कभी ,जुबान टालती हैं
कभी नहीं ------
दो किनारों में बहता पानी
सामिप्य हैं लम्बी कहानी
(c)राम किशोर उपाध्याय
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