मै हूँ पानी --
पर देखा लोगो को होते- होते पानी
पर देखा हैं बिन पानी के
और तो और पानी उतरते हुए
कभी -कभी तो दुश्मन भी पिला देते है पानी
कई कोसते है पी -पीकर पानी
अब तो लोग लड़ते है पाने को पानी
अपना पराया जानकर
मेरा कोई रंग नहीं
मेरा कोई रूप नहीं
जिस में डालो ढलता हूँ वही
ख्याब सा सुनहरा भी नहीं
शबाब सा लाल भी नहीं
फूलों में गुलाब भी नहीं
पर हर रंग में घुलता हूँ
माँ के दूध में मिलता हूँ
हर नदी में बहता हूँ
हर आंख में बसता हूँ
गम में टपकता हूँ
ख़ुशी में झलकता हूँ
हर झरने से दौड़ता हूँ
मैं कहां नहीं हूँ
यह जान लो -
हू जिंदगी की रवानी
हूँ मानवता के अस्तित्व की कहानी
मिनरल बोतल का पानी
नदी का पानी
झरने का पानी
नल का पानी
जो भी कहो
मै हूँ पानी --
मै हूँ पानी----
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