Friday, 11 July 2014

प्रेम का अटूट बंधन 
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ख़त लिखे 
और रोज लिखे तुमको -----
ख़त लिखने के भाव मात्र से 
तुम्हारी देह की गंध 
मन मस्तिष्क को घेर लेती/ करती सम्मोहित
जिससे भूल जाता ---ख़त पोस्ट करना .........
जबकि तुम सोचती हो
कि कुछ ढीले पड़ गए बंधन
प्रिये ! शरीर के तन्तु शिथिल हो सकते
किन्तु प्रेम - बंधन तो.......?
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रामकिशोर उपाध्याय

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