धरती पे टहलते चाँद-तारे
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कुछ कहीं
गरम से अहसासों की धूप
और किसी का
चले आना यूँ ही नंगे पाँव
बेतरतीब ख्यालों
का लगा हुआ एक शामियाना
और जिंदगी का
लगा देना किसी पे सबसे बड़ा दांव
**
काश यह संभव होता तो ....
आज ...
सुराख़ होते आसमान में सारे
और धरती पे टहलते चाँद-तारे
**
रामकिशोर उपाध्याय
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कुछ कहीं
गरम से अहसासों की धूप
और किसी का
चले आना यूँ ही नंगे पाँव
बेतरतीब ख्यालों
का लगा हुआ एक शामियाना
और जिंदगी का
लगा देना किसी पे सबसे बड़ा दांव
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काश यह संभव होता तो ....
आज ...
सुराख़ होते आसमान में सारे
और धरती पे टहलते चाँद-तारे
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रामकिशोर उपाध्याय
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