Thursday, 8 May 2014

सिके हुए स्वप्न
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हर शाम
जब भी बल्ब का स्विच दबाता हूँ 
उजाले के लिए
सूरज की धूप में सिके हुए स्वप्न
मेरी आँखों के खारे पानी में
दूर्वा की तरह हरे भरे होने लगते हैं .....
Ramkishore Upadhyay

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