बुरा न मानो आज होली हैं
------------------------
------------------------
बिखरे हैं
कई रंग
आसमान से लेकर अवनि तक
नीले ,पीले ,मटमैले और आसमानी
नहीं हो रहा हैं साहस,कैसे करूँ मनमानी
मन हैं सतरंगी
कुछ फूलों का ,,
कुछ काँटों सा ,,,
फाग में चाल हुई हैं बेढंगी
हुआ बहुरंगी
गुलाल लगा जब उनके कपोल
किसने किया कलोल
किसने किससे की ठठोली हैं
प्रबल मन-भाव की रंगोली हैं
राधा और कृष्ण के प्रेम की चिरंतन बोली हैं ..
रंग जाये अनायास कोई मेरे रंग में आज
पढ़कर यह रचना बज जाए किसी के मन का साज
बुरा न मानना
भाई आज होली हैं ..
आज होली हैं ...
कई रंग
आसमान से लेकर अवनि तक
नीले ,पीले ,मटमैले और आसमानी
नहीं हो रहा हैं साहस,कैसे करूँ मनमानी
मन हैं सतरंगी
कुछ फूलों का ,,
कुछ काँटों सा ,,,
फाग में चाल हुई हैं बेढंगी
हुआ बहुरंगी
गुलाल लगा जब उनके कपोल
किसने किया कलोल
किसने किससे की ठठोली हैं
प्रबल मन-भाव की रंगोली हैं
राधा और कृष्ण के प्रेम की चिरंतन बोली हैं ..
रंग जाये अनायास कोई मेरे रंग में आज
पढ़कर यह रचना बज जाए किसी के मन का साज
बुरा न मानना
भाई आज होली हैं ..
आज होली हैं ...
रामकिशोर उपाध्याय
No comments:
Post a Comment