जगत ......
कभी खट्टा ,कभी मीठा
कभी वो मुस्काई ,कभी मैं रूठा ...
कभी उर में उपजी प्रसन्नता
और उडी बनकर तितली ....
कली -कली ,फूल-फूल
कभी काल के पंजे में फंसी जिंदगी ऐसे घूमी
जैसे किसी हाथ में तकली ....
मगर एक धागा जरुर निकला
आशा का
सपने बुनने का .....|
****************************** ***
रामकिशोर उपाध्याय
कभी खट्टा ,कभी मीठा
कभी वो मुस्काई ,कभी मैं रूठा ...
कभी उर में उपजी प्रसन्नता
और उडी बनकर तितली ....
कली -कली ,फूल-फूल
कभी काल के पंजे में फंसी जिंदगी ऐसे घूमी
जैसे किसी हाथ में तकली ....
मगर एक धागा जरुर निकला
आशा का
सपने बुनने का .....|
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रामकिशोर उपाध्याय
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