Friday, 18 October 2013

शब्बा खैर------------------- 

चाहे जितना प्यार जता लो,चाहे उतार लो फ़लक से सितारे,
रीति-नीति सब फ़िज़ूल*जब तक बचपन रोये भूख के मारे.

पूनम का चांद 

के पूनम का चाँद*भी उतर गया कटोरे में,
एक तुम*अभी तक छिपे बैठे हों अँधेरे में. 


शरद पूर्णिमा 
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चंचल चन्द्र की किरने श्वेत धवल कांति,
हो उजियारा मन में,जीव-जगत में शांति.

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