Friday, 20 September 2013



के लहरों को हम देखते रह गए ,
बैठे थे जैसे बस बैठे ही रह गए।

बाते करते वे गीता कुरआन की,
पर चश्म इश्क दिखाते रह गए।

रामकिशोर उपाध्याय

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