Friday, 20 September 2013


चंद अशआर 
-------------------------------------------------------------
आजकल मैं अपने हाथों में लकीरों को देखकर घबरा जाता हूँ, 
के जब इन्हें देखो ये मेरा मुकद्दर बदलने में मसरूफ रहती हैं।
------------------------------------------------------------- 

---------------------------------------------------
बस यूँ ही करती रही इंतज़ार हर शाम को तुम्हारा,
के फूल भी मुरझाते रहे मेरे साथ सुबह होने तक। .
-------------------------------------------------- कितना आसान हैं हाथ अपने के कांधे पे रख देना,
उतना ही मुश्किल हैं अपने किसी को कन्धा देना। 

--------------------------------------------------

---------------------------------------------------------- आज उनके कहने पर अपने गुनाहों की किताब जला डाली,
के कहीं हर सफ़े पर उन्हें पाने की चाहत शाया न हो जाये।

----------------------------------------------------------

-------------------------------

ये आइने क्यूँ लगा लिए घर में,
जब देखो रोककर मुझे घूरते हैं।
------------------------------


-----------------------------------------------------------
बेशक तुम पत्थर बन जाना और मत देना ख़तों के जवाब,
पर क्या तुम अपने जिस्म से मेरी गंध को मिटा सकते हो।
-----------------------------------------------------------


--------------------------------------------
के बुल्लेशाह का दिल ढूंढता था तख्त हजारे,
यहाँ सब के सब हैं दिल्ली के तख़्त के मारे। 

--------------------------------------------

------------------------------------
आते दुःख जीवन में वेगवती नदिया से,,
और जाते हैं चलते हुए गर्भवती गैया से। -------------------------------------------

मैं तो धूप में नहाया हूँ एक शजर,
तू थक गया तो छाँव में कर बसर।

--------------------------------------------

बड़ी तमन्ना थी कि सलवटें गिने बिस्तर की एक सुबह,
उफ़ ये अफसाना कागज़ की सलवटों में छुपके रह गया । 

---------------------------------------------------------


ये मंजूर हैं !
-------------------------
फासलें भी मंजूर हैं हमको ,
बशर्ते कोई दरमियाँ न हों।

गुनाह भी कबूल हैं हमको ,
बशर्ते कोई तल्खियां न हो।

कफ़स भी मंजूर हैं हमको,
बशर्ते कोई अरजियां न हो। 
-------------------------
रामकिशोर उपाध्याय
१४-०९-२०१३


No comments:

Post a Comment